Turn on method of SCR in Hindi
स्वागत है आपका हमारे इस पोस्ट में । जैसे कि आपने टाइटल में पढ़ा हम ब्लॉग पोस्ट में आपको scr ट्रिगरिंग मेथड के बारे में जानने वाले हैं ।
वैसे तो इंटरनेट पर बहुत सारी इंफॉर्मेशन दी गई है लेकिन वह इंग्लिश में है हमने इस ब्लॉग के माध्यम से आपको अपनी मातृभाषा हिंदी में समझाने का प्रयास किया है ।
अगर आप इस पोस्ट को पढ़ते हो तो निश्चित रूप से आपको कुछ ना कुछ नया इंफॉर्मेशन scr ट्रिगरिंग मेथड के बारे में मिलेगी ।
तो चलिए देखते हैं scr turn ऑन करने के तरीकों के बारे में ।
यहां पर scr टर्न ऑन होने के कई सारे मेथड दिए गए हैं वह तो हम जानेंगे ही लेकिन उससे पहले हम जानते हैं कि फायरिंग सर्किट क्या है ?
जिस सर्किट को हम ट्रिगरिंग के लिए उपयोग करते हैं उसे हम फायरिंग सर्किट कहते हैं ।
Turn on method of SCR in Hindi
scr को टर्न ऑन करने के लिए 5 तरीके होते हैं जो नीचे दिए गए हैं ।
1. Forward voltage triggering
2. Thermal triggering
3. Light triggering
4. dv/dt triggering
5. gate triggering
1. Forward voltage triggering : ट्रिगरिंग मेथड में जब भी अनोड से कैथोड फ्लो होने वाला voltage ब्रेकडाउन से ज्यादा होता है तब scr टर्न ऑन हो जाता है । डिवाइस में लीकेज करंट फ्लो होता है उससे scr टर्न ऑन होता है ।
2. Thermal triggering : Thermal triggering कैसे होती है ? देखते हैं तो जैसे कि हम scr में वोल्टेज को सप्लाई देते हैं वहां पर डिवाइस को टेंपरेचर बढ़ता चला जाता है ।
टेंपरेचर वोल्टेज के रिस्पेक्ट में बढ़ता है । जैसे ही हम वोल्टेज को बढ़ाते हैं तभी हमारे डिवाइस का टेंपरेचर भी बढ़ता है ।
तो वहां पर डिवाइस में जंक्शन के पास जो लेयर होती है वो लेयर टेंपरेचर बढ़ने के कारण कम होती जाती है । और बहुत ज्यादा लीकेज करंट बहने लगता है । इस वजह से हमारा scr टर्न ऑन हो जाता है इस प्रकार के ट्रिगरिंग को thermal triggering कहा जाता है ।
3. Light triggering : इस मेथड में (scr) डिवाइस के अंदर light strike की जाती है । जंक्शन पे photons aur neutron फॉर्म में। इस से क्या होगा इलेक्ट्रॉन और होल तैयार होंगे । उससे चार्ज कैरियर बढ़ेंगे और thyristor turn on हो जाएगा .is method ko light triggering कहा जाता है ।
4. dv/dt triggering : अब तक अपने thermal triggering और light triggering के बारे में पढ़ा अभी हम जानते हैं कि dv/dt triggeringके बारे में.।
एक बात हम जानते हैं कि पीएन जंक्शन capacitance के समान होता है । जितना बड़ा जंक्शन उतना बड़ा कैपेसिटेंस।
जब वोल्टेज एनोड to कैथोड (p to n ) flow होता है । तब हमारा कैपेसिटेंस चार्ज होने लगता है उसका नीचे रिएक्शन दिया गया है ।
Ic =Cj(dv/dt)
जैसे ही हमें पता है जब हम anode to cathode वोल्टेज सप्लाई देते हैं तो जंक्शन j1 , j3 फॉरवार्ड बॉयस और जंक्शन j2 reverse bias होते हैं।
रिवर्स बॉयस जंक्शन j2 के कैरेक्टरिस्टिक कैपेसिटर जैसे होते हैं । क्युकी जंक्शन के अॅक्रॉस मे चार्ज होते हैं जब तक यह चार्जिंग करंट large होता है तब करण की density बढ़ जाती है और हमारा डिवाइस स्विच ऑन हो जाता है ।
5. Gate triggering : यह method हमेशा thyristor टर्न ऑन करने के लिए उपयोग की जाती है जब गेट करंट झिरो से ऊपर होता है तब thyristor on स्टेट में चला जाता है ।
बेसिकली देखा जाए तो गेट ट्रिगरिंग में हम thyristor को turn on करने के लिए गेट pulse देते हैं जिससे scr टर्न ऑन हो जाए ।
Anode to cathode voltage supply देते हैं तब जंक्शन j2 रिवर्स bias होता है जंक्शन j1, j3 forward bias होते हैं लेकिन j2 की वजह से करंट flow नहीं हो पाता । इसीलिए हम गेट पल्स देते हैं जिससे हमारा thyristor टर्न ऑन हो जाता है ।
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